मौद्रिक विकास की संक्षिप्त
कहानी--
(i) वस्तु विनिमय प्रणाली -- वस्तु से वस्तु का लेनदेन।
(ii)मौद्रिक प्रणाली -- मुद्रा से वस्तुओं एवं
सेवाओं का विनिमय।
(iii)बैंकिंग प्रणाली -- बैंक के माध्यम से चेक के द्वारा विनिमय की क्रिया
का संपादन।
(iv)कोर बैंकिंग प्रणाली-- कोर बैंकिंग प्रणाली के
अंतर्गत नेट से एक व्यक्ति के खाते से दूर अवस्थित दूसरे व्यक्ति को उसी बैंक के
माध्यम से पैसा का हस्तांतरण।
(v)ATM प्रणाली -- प्लास्टिक के एक छोटे से
काट पर चुंबकीय संकेत के आधार पर कहीं भी तथा किसी समय निर्धारित बैंक के केंद्र
से पैसा निकालने की सुविधा।
वस्तु विनिमय प्रणाली की
कठिनाइयां : (i)आवश्यकता के दोहरे संयोग का अभाव, (ii) मूल्य के सामान्य मापक का अभाव, (iii) मूल्य - संचय का अभाव, (iv) सह- विभाजन का अभाव, (v)भविष्य के भुगतान की
कठिनाइय, (vi) मूल्य हस्तांतरण की समस्या।
मुद्रा से लाभ:(i) मुद्रा से उपभोक्ता का लाभ, (ii) मुद्रा से उत्पादक को लाभ, (iii) मुद्रा और साख, (iv) वस्तु विनिमय प्रणाली की
कठिनाइयों का निराकरण, (v) मुद्रा और पूंजी की तरलता, (vi) मुद्रा और पूंजी की
गतिशीलता, (vii) मुद्रा और पूंजी का निर्माण, (viii) मुद्रा और बड़े पैमाने के
उद्योग मुद्रा, (ix) मुद्राऔर आर्थिक प्रगति, (x) मुद्रा और सामाजिक कल्याण।
साख पत्र के प्रकार: साख पत्र कई प्रकार के होते हैं
-- (i) चेक, (ii) विनिमय बिल, (iii) बैंक ड्राफ्ट, (iv) प्रतिज्ञा पत्र, (v) यात्री चेक, (vi) पुस्तकीय साख, (vii)साख प्रमाण पत्र।
डेबिट कार्ड(Debit
Card): बैंक
द्वारा दिया गया प्लास्टिक का कार्ड जिसके द्वारा बैंक में अपनी जमा
राशि के पैसे का उपयोग करना।
क्रेडिट कार्ड(Credit
Card): बैंक
द्वारा जारी किया गया प्लास्टिक का एक कार्ड जिसके आधार पर उसके ग्राहक द्वारा पैसा
अथवा वस्तु प्राप्त कर लेना।
पत्र मुद्रा: देश की सरकार तथा देश के केंद्रीय बैंक के द्वारा जो कागज के नोट पर प्रचलित
किया जाता है उसे पत्र मुद्रा कहते हैं। ₹2 या इससे अधिक के सभी नोट केंद्रीय बैंक
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा जारी किया जाता है।
साख: साख का अर्थ होता
है- विश्वास अथवा भरोसा। विश्वास या भरोसा पर साख की मात्रा निर्भर
करती है। इसी विश्वास या साख के आधार पर व्यक्ति के ऋण लेने देने की
मात्रा निर्भर करती है। साख के दो पक्ष होते हैं - ऋण दाता या ऋण लेने वाला।
किसी दिए गए समय मे ऋण लेने वाला रुपए या सेवाएं अथवा
कोई वस्तु अपनी साख पदार्थ प्राप्त करता है, निर्धारित समय के बाद उतना ही मुद्रा ब्याज
सहित लौट आने का वादा करता है ।
साख के प्रमुख आधार निम्न है--
(i) विश्वास- साख का मुख्य आधार विश्वास है। साख देने वाला या ऋण दाता उधार देने को तैयार
होता है जब उसे विश्वास होता है कि समय पर रुपए लौटा देगा।
(ii) चरित्र: ऋण लेने वाला का
चरित्र उसके साख का एक महत्वपूर्ण आधार होता है। यदि ऋण लेने वाला चरित्रवान तथा ईमानदार
हो उससे ऋण मिलने में दिक्कत नहीं होती।
(iii) पूंजी एवं संपत्ति: ऋण दाता पूजी तथा संपत्ति के जमानत के आधार पर ही ऋण देता है। अत: जिस व्यक्ति
के पास जितनी अधिक पूंजी अथवा संपत्ति होती है, उसे उतना ही अधिक ऋण मिल सकता है।
वस्तु विनिमय: वस्तु विनिमय प्रणाली के तहत जरूरत की वस्तुओं के बदले में वस्तु की ही
प्राप्त की जाती है। किसी वस्तु का इच्छुक वस्तु के साथ बगैर
मुद्रा के प्रत्यक्ष रुप से लेन देन वस्तु विनिमय प्रणाली है। चावल धान गेहूं से
नमक तेल या जरूरत के अनुसार अन्य सामान यहां तक कि कपड़ों को भी प्राप्त किया जाता
है । काफी पहले से प्रचलित प्रणाली अभी देहातों में मौजूद हैं।
मौद्रिक
प्रणाली :मौद्रिक
प्रणाली में आवश्यकता वस्तु के प्राप्ति में, वस्तु की जगह मुद्रा का स्थान ले लिया है अर्थात मुद्रा
में एक पक्ष मुद्रा जरूर रहता है। वस्तु के बदले मुद्रा देना तथा अन्य कई कार्य
मुद्रा विनिमय के आधार पर आसानी से संपन्न हो जाता है। मुद्रा प्रणाली
द्वारा भविष्य में भुगतान, मूल्य संचय,मूल्य हस्तांतरण तथा दोहरे संजोग की समस्या का समाधान हो गया।
मुद्रा की
परिभाषा: मुद्रा वह वस्तु है जिसे वैधानिकता प्राप्त है तथा स्वतंत्र रूप
से प्रचलित होती हैं । यह विनिमय का माध्यम मूल्य के समान मापक ऋण
के भुगतान का मापदंड तथा संचार के साधन के रूप में कार्य करती हैं।
ATM कार्ड: ATM कार्ड को ATM सह डेबिट कार्ड भी कहा जाता है । प्लास्टिक
मुद्रा के रूप में प्रचलित आज इस मुद्रा का प्रयोग विनिमय क्रिया को संपादित करने के लिए
किया जा रहा है। ATM (Automatic Teller Machine) चौबीसों घंटे रुपए निकालने तथा जमा करने की
सुविधा प्रदान करता है ATM के लिए गुप्त एक गुप्त code होता है जिसे बगैर जाने ATM का संचालन संभव नहीं है।
No comments:
Post a Comment