Friday, 4 May 2018

Notes of Economics Class 10 अर्थव्यवस्था एवं इसके विकास का इतिहास


उपनिवेश :जब कोई भी देश किसी बड़े समृद्धशाली राष्ट्र के शासन के अंतर्गत रहता है और उसके समस्त आर्थिक एवं व्यवसायिक कार्यों का निर्देशन एवं नियंत्रण शासक देश का होता है तो ऐसे शासित देश को शासक देश का उपनिवेश कहा जाता है। भारत करीब 200 वर्षों तक ब्रिटिश शासन का एक उपनिवेश था
समावेशी विकास(Inclusive growth) : आर्थिक विकास की जीस पद्धति या प्रक्रिया से सभी वर्गों का जीवन स्तर ऊंचा होता जाए तथा समाज के कोई भी वर्ग विकास के लाभ सेअछूता नहीं रहे तो ऐसे नहीं विकास की क्रिया को समावेशी विकास (Inclusive growth) कहा जाता है।
सतत विकास: सतत विकास का शाब्दिक अर्थ है- ऐसा विकास जो जारी रह सके, टिकाऊ बना रह सके। सतत विकास में न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भावी पीढ़ी के विकास को भी ध्यान में रखा जाता है।
ब्रूडलैंड आयोग (Brundland Commission): ब्रूणडलैंडआयोग ने सतत विकास के बारे में बताया है कि 'विकास की वह प्रक्रिया जिसमें वर्तमान की आवश्यकताए , बिना भावी पीढ़ी की क्षमता, योग्यताओ से समझौता किए, पूरी की जाती है । '
आर्थिक नियोजन का अर्थ: राष्ट्र की प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक क्रियाओं में प्रयोग करना है।
भारत में योजना आयोग : भारत में योजना आयोग का गठन 15 मार्च 1950 को किया गया था ।आयोग के अध्यक्ष पदेन (Exofficio) भारत के प्रधानमंत्री होते हैं। सामान्यता कामकाज एक उपाध्यक्ष के देखरेख में होता है जिसकी सहायता के लिए आयोग के आठ सदस्य होते हैं।
राष्ट्रीय विकास परिषद(National Development Council N.D.C): भारत में राष्ट्रीय विकास परिषद का गठन 6अगस्त 1952 ईस्वी को किया गया था। इसका गठन आर्थिक नियोजन हेतु राज्य सरकार तथा योजना आयोग के बीच तालमेल तथा सहयोग का वातावरण बनाने के लिए किया गया था। विकास परिषद में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री इसके पदेन सदस्य होते हैं। पंचवर्षीय योजना बनाने का कार्य योजना आयोग का है और अंत में यह राष्ट्रीय विकास परिषद द्वारा अनुमोदित(Approved) होते हैं।
आधारिक संरचना(Infrastructure): आधारिक संरचना का मतलब उन सुविधाओं तथा सेवाओं से है जो देश के आर्थिक विकास के लिए सहायक होते हैं। वह सभी तत्व जैसे-- बिजली, परिवहन, संचार, बैंकिंग, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, आदि देश के आर्थिक विकास का आधार हैं। इन्हें देश का आधारिक संरचना (आधारभूत ढांचा) कहा जाता है किसी देश का आधारभूत ढांचा जितना भी अधिक विकसित होगा, वह देश उतना ही अधिक विकसित होगा ।
बिहार के पिछड़ेपन के कारण: (i)तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या,(ii) आधारिक संरचना का अभाव,(iii) कृषि पर निर्भरता,(iv) बाढ़ तथा सूखा से क्षती,(v) औद्योगिक पिछड़ापन,(vi) गरीबी,(vii) खराब विधि व्यवस्था,(viii) कुशल प्रशासन का अभाव।
बिहार के पिछड़ेपन को दूर करने का उपाय: (i) जनसंख्या पर नियंत्रण,(ii) कृषि का तेजी से विकास,(iii) बाढ़ पर नियंत्रण,(iv) आधारिक संरचना का विकास,(v) उद्योगों का विकास,(vi) गरीबी दूर करना,(vii) शांति व्यवस्था,(viii) केंद्र से अधिक मात्रा में संसाधनों का हस्तांतरण।
कृषि जनित उद्योग: ऐसे उद्योग जो कृषि उत्पादन पर आश्रित होते हैं अथवा जिनके के उत्पादन में कृषि क्षेत्र से कच्चा माल आता है उसे कृषि जनि उद्योग कहते हैं उदाहरण के लिए आम का अचार बनाना, टमाटर से टमाटर सॉस बनाना आदि।
गरीबी रेखा( Poverty Line): गरीबी को निर्धारित करने के लिए योजना आयोग द्वारा सीमांकन(Border Line) किया गया है। गरीबी रेखा कैलोरी मापदंड पर आधारित है। ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन निर्धारित किया गया है। अर्थशास्त्र में गरीबी की माप यह एक काल्पनिक रेखा है । इस रेखा(Line) से नीचे के लोगों को गरीबी रेखा के नीचे (Below Poverty Line) माना जाता है। इसे संक्षेप में BPL भी कहा जाता है।
नरेगा(NREGA): ग्रामीण रोजगार देने की यह एक राष्ट्रीय योजना है। इसके अंतर्गत ग्रामीण मजदूरों को साल में कम से कम 100 दिनों के लिए रोजगार देने की व्यवस्था है।इसके के लिए न्यूनतम मजदूरी निर्धारित है ।
अर्थव्यवस्था की वर्गीकृत: अर्थव्यवस्था दो आधार पर वर्गीकृत की जाती है--
(1) विकास के आधार पर-- विकास के आधार पर अर्थव्यवस्था दो प्रकार की है (i) विकसित अर्थव्यवस्था, (ii)विकासीय अर्थव्यवस्था
(2)स्वामित्व के आधार पर-- स्वामित्व के आधार पर अर्थव्यवस्था तीन प्रकार की होती है (i) पूंजीवादी अर्थव्यवस्था, (ii) समाजवादी अर्थव्यवस्था, (iii) मिश्रित अर्थव्यवस्था पुणे
कंप्यूटर आर्थिक विकास: पहले जिस कार्य को करने में बहुत समय एवं श्रम लगता था उसे आज कंप्यूटर के द्वारा कुछ ही मिनटों में कर लिया जाता है। अत: आज उद्योगिक, शैक्षिक, राजनीतिक, विज्ञान, मनोरंजन, परिवहन, संचार, आदि क्षेत्र में कंप्यूटर का प्रयोग प्रमुखता से किया जा रहा है।
समाजवादी अर्थव्यवस्था: समाजवादी अर्थव्यवस्था में के साधनों पर नियंत्रण सरकार के पास रहता है।
आधारिक संरचना पर प्रकाश: आधारिक संरचना का आधारभूत संरचना का आशय उस सुविधाओं से है या सेवाओं से हैं जो देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। आधारिक संरचना की श्रेणी में बिजली, परिवहन, संचार, बैंकिंग, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, रेल, सड़क आदि आते हैं। देश के विकास के साथ आधारिक संरचना का संबंध समानुपातिक है। जिस अनुपात में आधारिक संरचना का विकास होता जाएगा उसी अनुपात में आर्थिक विकास दर भी बढ़ता चला जाएगा
भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप: अर्थव्यवस्था एक ऐसा तंत्र हैं जिसके माध्यम से संपूर्ण आर्थिक क्रियाओं का संचालन किया जाता है। अर्थव्यवस्था यह भी निर्धारित करती है कि देश में किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाएगा तथा विभिन्न साधनों में इनको अनुकूलतम अनुपात में बांटा जाएगा । वर्तमान भारतीय अर्थव्यवस्था एक विकासशील अर्थव्यवस्था है जो देश के विकास में नियंत्रण प्रयत्नशील है; तथा स्वामित्व के आधार पर भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था है जहां पर निजी व सार्वजनिक दोनों क्षेत्र कार्यरत हैं।
विभाजन के पश्चात बिहार कृषि प्रधान राज्य: विभाजन के बाद बिहार राज्य में जनसंख्या एवं भूमि अनुपात 6:7 हैं जबकि राज्य में औद्योगिक विकास नहीं के बराबर हैं। इसलिए बिहार को अपना खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाना होगा। इसी को देखते हुए बिहार में सरकार ने भी कृषि क्षेत्र में बहुत सुविधा किसानों को उपलब्ध कराई है जैसे-- उच्च कोटि के बीज, रासायनिक खाद, किसानों को सांची ब्याज पर ऋण, सिंचाई की उत्तम व्यवस्था, विकास में अनुसंधान, भूमि सुधार किसान गोल्ड कार्ड, फसल बीमा योजना, आदि। इन सुविधाओं के कारण आज बिहार में कृषि प्रगति हुई है। विभाजन के पश्चात बिहार पूर्णत: कृषि प्रधान राज्य हो गया है ।
आर्थिक नियोजन एवं इसके उद्देश्य: आर्थिक नियोजन का अर्थ राष्ट्र की प्राथमिकताओं के अनुसार देश के संसाधनों का विभिन्न विकासात्मक प्रक्रियाओं में प्रयोग करना है। इस प्रकार संसाधनों का ऐसा नियोजन समन्वय एवं उपयोग हैं जिनमें हम समयवध कार्यक्रम के अंतर्गत पूर्व निर्धारित सामाजिक एवं आर्थिक उद्देश्यों को प्राप्त कर डालते हैं।
उद्देश्य--(i) भारत में व्याप्त गरीबी निर्धनता को समाप्त करना। (ii)शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार लाना।(iii) प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी करना।(iv) देशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना। (v) भूमि की उर्वरा शक्ति का शत प्रतिशत उपयोग कर भारत की समृद्धि में अप्रत्याशित बढ़ोतरी करना।
मानव विकास रिपोर्ट: मानव विकास रिपोर्ट के द्वारा विभिन्न देशों के लोगों की तुलना लोगों के शैक्षिक का स्तर, उनकी स्वास्थ्य की स्थिति, एवं प्रति व्यक्ति आय की जानकारी प्राप्त की जाती है। पहली बार संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित की गई थी या आर्थिक विकास का पैमाना है। ( मानव विकास सूचकांक = जीवन आशा सूचकांक + शिक्षा स्तर सूचकांक+ जीवनस्तर सूचकांक) 2006 ईस्वी में मानव विकास सूचकांक की गणना विश्व के 179 देशों के लिए की गई थी जिस में भारत का क्रम 0.611 अंक के साथ 126 पर है। बगल का पड़ोसी देश श्रीलंका भारत से 33 क्रम आगे था।
मिश्रित अर्थव्यवस्था: मिश्रित अर्थव्यवस्था के अंतर्गत उत्पादन के साधनों पर निजी व्यक्ति तथा सरकार दोनों का स्वामित्व होता है। तदनुरूप उत्पादन भी होता है। आय स्वरूप लाभों का व्यय दोनों अपने-अपने क्षेत्रों में करते हैं ।इस प्रकार दोनों ही मिश्रित अर्थव्यवस्था के अंतर्गत आते हैं। मिश्रित अर्थव्यवस्था समाजवादी तथा पूंजीवादी व्यवस्था का मध्यमार्गी प्रवृत्ति है। मिश्रित अर्थव्यवस्था का उद्देश्य लाभ कमाना उपभोक्ता का जन्म देना आर्थिक समृद्धि एवं समानता लाना आदि।
अर्थव्यवस्था एवं इसके कार्य: अर्थव्यवस्था से तात्पर्य ऐसी क्रियाओं का संपादन जिसमें आर्थिक उत्पादन निहित होता है। ऑर्थो लेविस नेअर्थव्यवस्था के संबंध में कहा कि "अर्थव्यवस्था का संबंध किसी राष्ट्र के संपूर्ण व्यवहार से होता है जिसके आधार पर मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वह अपने संसाधनों का प्रयोग करता है।" ब्राउन ने कहा कि "अर्थव्यवस्था आजीविका अर्जन की एक प्रणाली है।" अनुचित नहीं होगा की अर्थव्यवस्था आर्थिक क्रियाओं का ऐसा संगठन है इसके अंतर्गत लोग कार्य का मौका पाकर अपनी आजीविका का संपादन करते हैं ।
अर्थव्यवस्था के कार्य इस प्रकार हैं :
(1) लोगों की आवश्यकता की संतुष्टि के लिए विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करती हैं
(2) लोगों को रोजगार का अवसर प्रदान करती हैं ।
आर्थिक विकास के विभिन्न क्षेत्रों की व्याख्या: एक देश के आर्थिक विकास के लिए तीन क्षेत्रों की उपस्थिति महत्वपूर्ण है। तीनों क्षेत्रों को विकसित किए बिना देश का आर्थिक विकास नहीं हो सकता है। आर्थिक विकास के प्रमुख तीन क्षेत्र हैं -
प्राथमिक क्षेत्र- प्राथमिक क्षेत्र में एवं उससे संबंधित क्रियाओं को शामिल किया जाता है,जैसे_ फलों का उत्पादन, पशुपालन, मछली पालन, इत्यादि।
द्वितीय क्षेत्र-इस क्षेत्र में निर्माण एवं विनिर्माण को सम्मिलित किया जाता है। छोटे और बड़े उद्योगों की क्रिया को शामिल किया जाता है। जैसे_ गैस उत्पादन, विद्युत उत्पादन, जलआपूर्ति एवं अन्य ।
सेवा क्षेत्र में शिक्षा की भूमिका : सेवा क्षेत्र में शिक्षा की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि शिक्षित व्यक्ति क्षेत्र में अपने कार्य को सही गति प्रदान करते हैं क्योंकि शिक्षा लोगों को कौशल सिखाती है अत: वस्तुओं के उत्पादन में गुणवत्ता की दृष्टि से शिक्षा काफी महत्वपूर्ण है। जिस प्रकार कारखाने के निर्माण में निवेश करने से परिणाम प्राप्त होते हैं ठीक उसी प्रकार शिक्षा साधनों में निवेश से देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त होते हैं ।
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था एवं इसके अवगुण: पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का अर्थ-- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था है जिसमें उत्पादन के प्रमुख क्षेत्रों में निजी उधम पाया जाता है जो निजी लाभ के लिए काम करता।
 पूंजी अर्थव्यवस्था के अवगुण _
(i) संपत्ति एवं आय की असमानताएं- आय की असमानता के कारण देश की संपत्ति और पूंजी का केंद्रीयकरण कुछ व्यक्तियों के हाथों में रहता है और समाज में गरीब और अमीर के बीच खाई बढ़ जाता है।
(ii)सामाजिक कल्याण काअभाव _पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में स्वहित एवं स्वकल्याण की भावना सर्वोपरि होती है तथा सामाजिक कल्याण की भावना का पूर्ण रुप से अभाव होता है।

No comments:

Post a Comment

Structure of the flower

S tructure of the flower A flower has four main parts: Sepals, petals, stamen, and pistil or carpel. 1.     Sepals: Sepals are the g...